Friday, 18 April 2025

वक़्त







वक़्त जब हाथ से फिसल जायेगा,
दिन किसी कोने मे जा छुप जायेगा
सीने के गर्म खून थम जाएगा
यकीन थोड़ा उम्मीद में बदल जायेगा
तब तुम्हे मेरा दर्द कुछ कुछ समझ आयेगा...



ख़ुद ही बोलोगे ख़ुद ही सुनोगे

अपनी बात किसी से भी कहोगे

हर मतलब हर तालुख़ बेमानी  होगा

तुम्हारे दिल में बहुत कुछ पर जुबान खाली होगा
किसी मोड़ पर जब रोने को भी तरस जाओगे
अपनी नाकामियां तब तुम किसको बताओगे
घुट घुट के ही अंदर जब मर जाओगे
कही जाकर तब ये एहसास आयेगा
वक़्त जब हाथ से फिसल जायेगा.....

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 20 अप्रैल 2025 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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