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Monday, 16 June 2025

अब मैं क्या करूँगा..??

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मांग कोई सुनी सजा के पुष्प मरुस्थल में खिला के फिर कोई संकल्प उठा के अब मैं क्या  करूँगा चक्रव्यूह जब तोड़ न पाया लोह भुजा का निचोड़ न पाया  य...
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Friday, 18 April 2025

वक़्त

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वक़्त जब हाथ से फिसल जायेगा, दिन किसी कोने मे जा छुप जायेगा सीने के गर्म खून थम जाएगा यकीन थोड़ा उम्मीद में बदल जायेगा तब तुम्हे मेरा दर्द कुछ...
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Tuesday, 25 March 2025

कोई तो उस तरह से अब मेरे करीब नही,

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कोई शिकवा कोई शिक़ायत कोई उम्मीद नही, बस मुलाक़ात से बढ़कर हमे कोई चीज़ नही, थोड़ी तन्हाई थोड़ी बेख़याली थोड़ी यादें रहती है, कोई तो उस तरह से अब मे...
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Tuesday, 18 March 2025

बुड़ो की सी ख़ासी,बच्चों का सा रोना है

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  बूढ़ों की सी खाँसी, बच्चों का सा रोना है दर्द हमारा मानो सर्दियों का बिछौना है…. तक़रीरों मैं मुँह बनाकर कैसे हम रह लेते है एक बिस्तर पर क...
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Wednesday, 12 February 2025

ज़िंदगी कैसे हाथ से फिसल रही..

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जर्रा-जर्रा निकल रही साँझ ढले सूरज संग ढल रही भोर की तुषार धूप से फ़िघल रही  ज़िंदगी कैसे हाथ से फिसल रही.. स्वप्न हुए ठेर है रेखाओ के सब फे...
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dr.sunil k. "Zafar "
hi.. i am a govt sevnt by profession but writter by choice..it has been my long hobby to jot down my observtion whatever it may be. writting poetry is like venting my observation from core of my heart which give immence satisfaction feeling of fullness.
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