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Saturday 27 April 2024
कल रात फिर मिले कुछ साये…
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कल रात फिर मिले कुछ साये, वही दोस्त बैठें बतियायें, जाम से जाम टकरायें.. देर तक हुड़दंग से जागीं आँखें सुबह चाय की चुस्कियों में लड़खड़ाये...
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Wednesday 17 April 2024
वो ज़ालिम एक दिन बेनकाब होगा..
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चित्रगुप्त के बही से सबका हिसाब होगा, वो ज़ालिम एक दिन बेनकाब होगा, आप हवाई दौरा बाढ़ का करके क्या करोगे नेताजी आपका वक़्त बेकार खराब होगा...
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Thursday 11 April 2024
अलग-अलग हम कितने अलग है…
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साथ में तुझमें-मुझमें ही सब है ज़बक़े अलग-अलग हम कितने अलग है, सुबह एक ही रंग में रगीं है शामें सब एक आग़ोश में ढकीं है एक ही ख़्वाब सजाते...
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Saturday 6 April 2024
वो मैं नहीं था ..
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वो मैं नहीं था .. या ये मैं नहीं हूँ एक वक़्त से मैं इसी उधेड़बून में हूँ कैसे कैसे लम्हों की परते चड़ी साप ने जैसे बदल ली काचूली हालत बदल...
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Sunday 31 March 2024
बारिश क्यो है…
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तेज़ धूप में फिर आज ये बारिश क्यो हैं... नम पलकों के दरवाजे पर, किसी ख़्वाब की गुजारिश क्यो है.. कई रोज़ बाद दिखा ये घना कोहरा, रात के ही आग़ोश ...
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