सुबह तक महकती रही,मुझमेँ रात की रानी की तरह,
मुझपे गुज़रना था जिसे जवानी की तरह..
बहुत खुश थे जिससे पीछा छुड़ा के अमीर,
याद रहा वो शख्श दादी की कहानी की तरह,
याद रहा वो शख्श दादी की कहानी की तरह,
एक शमा अकेले तूफ़ान से लड़ती रही,
बुतो में खोजते रहे लिखा था जो पेशानी की तरह,
बुतो में खोजते रहे लिखा था जो पेशानी की तरह,
मेरी बरबादियाँ कुछ काम तो जरूर आयीं,
बच्चों को सुनाते हैं गाँव वाले कहानी की तरह,
बच्चों को सुनाते हैं गाँव वाले कहानी की तरह,
जिक्र भी करु तो छलक पड़ता हैं,
पलको पर जो तैरता रहता हैं पानी की तरह,
पलको पर जो तैरता रहता हैं पानी की तरह,
आज की रात को उम्र भर साथ हमारे चलना हैं
तेरे मेरे प्यार की आख़िरी निशानी की तरह
तेरे मेरे प्यार की आख़िरी निशानी की तरह
वाह !
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteवाह !!उम्दा/बेहतरीन।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन सर
ReplyDeleteसादर