खुद से जिद करो,जहन से सवालात करो,
आदमी हो तो आदमी की तरह बात करो
लोग खीच खसोट कर ले जाएंगे,
अपनी हदो में अपनी हदो को बिसात करो,
बेरोजगारी और भूख का रोना मत रोओ,
थोड़ी मेहनत करो फिर बात करो,
एक बार जो तुम अपना आसमा ढूंढ लो,
उसे पाने को फिर दिन रात करो,
हाथ मिलाओ गले मिलो सलीके से,
इहतियाद से शहर में लोगो से मुलाक़ात करो,
सिर्फ वज़ू का नाम नही है सलह,
ईमान के रास्ते पे सफ़र हयात करो,
पहले ख़ुद हल पकड़ना तो सीख लो,
फिर फसल का इंतख़ाब करो.....
ReplyDeleteजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(२९-१२ -२०१९ ) को " नूतनवर्षाभिनन्दन" (चर्चा अंक-३५६४) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
वाह ...
ReplyDeleteहर शेर कितना कुह कहता है ... आत्मविश्वास को शक्ति बनाना और हर कठिनाई को पार करने का सन्देश लिए शेर ...
एक बार जो आसमा ढूढ़ लिए ... बहुत ही लाजवाब शेर है ...
भरपूर ग़ज़ल की बधाई ...
पहले ख़ुद हल पकड़ना तो सीख लो,
ReplyDeleteफिर फसल का इंतख़ाब करो..
hmmm..yahi musibat to he sab ke saath...khud ki traf nazar e inayat krne ki fursat nhi...dusron ko traf ungli krne se fursat nhi
वक़्त बे वक़्त बेरोजगारी और भूख का रोना मत रो,
थोड़ी मेहनत करो फिर बात करो,
hmmm..durusat farmaaya
bahut bdhiyaa soch ke sath achhi rchnaa