Tuesday, 24 March 2020

मन मंदिर में स्थापित,साधना का शिवाला हो.....







एहसास की पूजा जज्बात की माला हो,
मन मंदिर में स्थापित,साधना का शिवाला हो,..


प्रेम लगन में पागल मैं बेसुध गोपी सी,
तुम निष्ठर चंचल नटखट नंदलाला हो,

सर्द गहरी रातो का तन्हा मुसाफ़िर सा,
अलाव तपते हाथो का तुम सहारा हो,

राह मेरी काली,जीवन घनघोर अंधेरा हैं,
सीने मैं छुपा रखा एक अतीत का तारा हो,

ये जो बातों में नरमी हैं लहज़े मे नज़ाकत हैं,
आँखों से सब जाहिर,मुँह में कितना ताला हो,

डोर रिश्ते की मुझसे ही बस जिंदा हैं,
रोक नही पाऊँ और तुम कब पलटने वाला हो,

मेरे हर दिन में रोशन,रात को टिमटिमाते हो,
साथ सदा चलते,साँसो की ऐसी  ज्वाला हो,

16 comments:

  1. राह मेरी काली,जीवन घनघोर अंधेरा हैं,
    सीने मैं छुपा रखा एक अतीत का तारा हो,
    गहरा संदेश देती अच्छी गजल। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीय ।

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  2. मेरी साँसों की ज्वाला हो ...
    नटखट गोपी के नंदलाला तपो प्रेम के दीवाने हैं बस ...
    लाजवाब शेर ...

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  3. बेहतरीन सृजन आदरणीय सर.
    एक-एक शेर लाज़वाब.. वाह !

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  4. बहुत सुन्दर।
    घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
    कोरोना से बचें।
    भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 25 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. बेहद लाजवाब ग़ज़ल।
    वाह वाह वाह..।
    शानदार।

    नई रचना सर्वोपरि?

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  7. प्रेम लगन में पागल मैं बेसुध गोपी सी,
    तुम निष्ठर चंचल नटखट नंदलाला हो,

    ""इन पंक्तियों की सुंदरता को बताना तो बहुत कठिन काम है !""

    सर्द गहरी रातो का तन्हा मुसाफ़िर सा,अलाव तपते हाथो का तुम सहारा हो,

    राह मेरी काली,जीवन घनघोर अंधेरा हैं,
    सीने मैं छुपा रखा एक अतीत का तारा हो,

    "" बहुत सुंदर ""
    बहुत प्यारे भाव

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  8. बहुत सुन्दर

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  9. " एहसास की पूजा जज्बात की माला हो,
    मन मंदिर में स्थापित,साधना का शिवाला हो,..


    प्रेम लगन में पागल मैं बेसुध गोपी सी,
    तुम निष्ठर चंचल नटखट नंदलाला हो,"
    उत्तम 👌

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (27-03-2020) को नियमों को निभाओगे कब ( चर्चाअंक - 3653) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    आँचल पाण्डेय

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  11. बहुत खूब ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन

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  12. राह मेरी काली,जीवन घनघोर अंधेरा हैं,
    सीने मैं छुपा रखा एक अतीत का तारा हो... वाह!

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    1. आप ने इस रचना को ब्लॉग में खोजकर नवाज़।बहुत बहुत आभार अनीता जी

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