आज फिर तुम्हारी जिद पे उम्मीद हारी हैं,
बड़ी शिददत से दिल में संभाल रखा था,
अपनी नज़दीकियों की जो थोड़ी उधारी हैं,
जुदा हुये थे तो उसे एहसास ही ना था,
ठहरे पानी में गहराई कितनी सारी है,
चंद दिनों में ये दुनिया भूल ही जायेगी,
बस तेरे-मेरे सिर पर ये बोझ कितना भारी हैं,
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