Tuesday, 25 March 2025

कोई तो उस तरह से अब मेरे करीब नही,

कोई शिकवा कोई शिक़ायत कोई उम्मीद नही,
बस मुलाक़ात से बढ़कर हमे कोई चीज़ नही,

थोड़ी तन्हाई थोड़ी बेख़याली थोड़ी यादें रहती है,
कोई तो उस तरह से अब मेरे करीब नही,

और भी लोग और भी मसाइल शामिल थे
तबाही के लिये सिर्फ तुम्हे कोसना अब ठीक नही,

बहुत दिनों बाद गलें लगाया तो पता चला 
बहुत कुछ था बीच जब कोई हमारे बीच नहीं ….





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