Saturday, 25 September 2021

ज़िन्दगी तुझसे अब पहली वाली मुलाकात नही होती....






कुछ कभी अच्छा नही लगता,कुछ मेरे जैसी बात नही होती,

ज़िन्दगी तुझसे अब पहली वाली मुलाकात नही होती,


वक़्त के दरिया में तिनके सा बहा जाता हूँ,

कोई मौजे नही उठती कोई बरसात नही होती,


बेरंग बेनूर बड़ी बेशर्म सी दौड़ धूप में मसरुख होगया हूँ,

किसी के जाने से ज़िन्दगी अब उस तरह दुस्वार नही होती,


 दो पाटों की चक्की में पीस रहे है दिन रात मेरे,

कोई जीत से जीत नही होती,हार से भी अब हार नही होती..


9 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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  2. दौड़ धूप में ही मसरूफ है जो ज़िंदगी उससे किनारा कर लेती है, जो थमकर उसकी आँखों में आँखें डालता है,हाथ बस उससे ही मिलाती है

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    1. यही सोच रहा हूँ।युही जाया ना हो जाऊं कही।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०२-१०-२०२१) को
    'रेत के रिश्ते' (चर्चा अंक-४२०५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  4. कुछ कभी अच्छा नही लगता,कुछ मेरे जैसी बात नही होती,

    ज़िन्दगी तुझसे अब पहली वाली मुलाकात नही होती,



    वक़्त के दरिया में तिनके सा बहा जाता हूँ,

    कोई मौजे नही उठती कोई बरसात नही होती,
    सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय ।

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  5. बहुत ही उम्दा रचना!

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  6. अति सुन्दर रचना !

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  7. हर कलाप और घटना को सहजता से ले पाना मुश्किल तो है पर इस मुकाम तक पहुंचना मजबूरी भी हो सकती है ।
    गहन यथार्थ पर टूटे मन का चिंतन।

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