तुम उस तरह से बेवफा नही होना,
ये सिखाया है अपनी अच्छाईयों नें,
दर्द बन जाना,किसी को दवा नही होना,
दीवानगी आवारा है सड़को पे सुबह शाम,
ख़र्च हो जाना रोज़ ,जमा नही होना,
दोनों समझ गये रिश्तो की मजबूरी,
दूर से हस देना,तकरार की वज़ह नही होना,
तुम्हारी आँखों में अभी तलक देखता है,
जिस ख़्वाब का लिखा था पूरा नही होना,
सर्दियों के बाद धूप कब तेज़ हो जायेगी,
वक़्त का हुनर है किसी को पता नही होना,
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०३ -२०२२ ) को
'हिसाब कुछ लम्हों का ...'(चर्चा अंक -४३५९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आपका जो मतला जॉन साब की याद दिलाता है वो कहते हैं कि
ReplyDeleteनया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम।
उम्दा रचना
New post धरती की नागरिक: श्वेता सिन्हा
वाह ...... बहुत खूबसूरत एहसास
ReplyDelete