Tuesday, 1 March 2022

तुम उस तरह से बेवफा नही होना...









जुदा होना मगर खफ़ा नही होना
तुम उस तरह से बेवफा नही होना,

ये सिखाया है अपनी अच्छाईयों नें,
दर्द बन जाना,किसी को दवा नही होना,

दीवानगी आवारा है सड़को पे सुबह शाम,
ख़र्च हो जाना रोज़ ,जमा नही होना,

दोनों समझ गये रिश्तो की मजबूरी,
दूर से हस देना,तकरार की वज़ह नही होना,

तुम्हारी आँखों में अभी तलक देखता है,
जिस ख़्वाब का लिखा था पूरा नही होना,

सर्दियों के बाद धूप कब तेज़ हो जायेगी, 
वक़्त का हुनर है किसी को पता नही होना,

3 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०३ -२०२२ ) को
    'हिसाब कुछ लम्हों का ...'(चर्चा अंक -४३५९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. आपका जो मतला जॉन साब की याद दिलाता है वो कहते हैं कि
    नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम
    बिछड़ना है तो झगड़ा क्यों करें हम।
    उम्दा रचना

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  3. वाह ...... बहुत खूबसूरत एहसास

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