Saturday, 7 May 2022

अबकी बार तुम कितने बदले -बदले से लगते हो...












कुछ मायूस कुछ परेशान, कुछ संभले से लगते हो,
अबकी बार तुम कितने बदले -बदले से लगते हो...

दुनियां की जंजीरों में तुमने कब बंधना सीखा हैं,
रिश्तों के धागों में कुछ उलझें से लगतें हो,

कुछ घबराये कुछ शरमाये कुछ बोले तो कुछ हो जाये,
उलझीं -सुलझी जुल्फों में पगले से लगते हो,

चोरी की मुलाकातों में कितने डरते मरते हो,
हाले दिल बयानों में कुछ हकले से लगते हो...

लड़ झगड़ कर जब गले लगाने लगते हो,
दुनिया भर की तन्हाई मे बस अपने से लगते हो,

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

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  2. बहुत ही बढ़िया लिखा है जी। बहुत-बहुत बधाई आपको।

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  3. अच्छी जानकारी !! आपकी अगली पोस्ट का इंतजार नहीं कर सकता!
    greetings from malaysia
    let's be friend

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