Wednesday 8 May 2024

किसीआँख में आंसू सा मचल रहा हैं ,






किसीआँख में आंसू सा मचल रहा हैं ,
दिल में एक ख्वाब सा पल रहा हैं ...

तुमने चेहरे से जो नकाब उठाया हैं ,
देखो मौसम कितना बदल रहा हैं ...

माना हमने राते जागकर बितायी हैं ,
कही दूर उम्मीद का सूरज तो निकल रहा हैं .....!!!

4 comments:

  1. उम्मीद पे दुनिया कायम है।
    सुंदर अभिव्यक्ति।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० मई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. वाह!!!!
    लाजवाब सृजन ।

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