दर बदर भटकता रहा जिसकी तलाश में
पाया है वही सुकून तुम्हारे पास मे
तेरी तिशनगी को मोहब्बत समझता रहा
कच्चा हु आज भी दुनिया के हिसाब मे
बहुत मगरूर हो चला हैं मेरी मज़बूरियों में ,
देखता हूँ तुम्हारा कल मैं अपने आज में
तमाम तडफ तमाम मुश्किलें बेमानी मालूम पड़ी ,
कल रात जो तुम मिले पुराने ख्वाब में
इस एक एहसास से सारे कयास बदल दिए
कल के खुदा बिक गये जफ़र पहली नमाज़ में.......
पाया है वही सुकून तुम्हारे पास मे
तेरी तिशनगी को मोहब्बत समझता रहा
कच्चा हु आज भी दुनिया के हिसाब मे
बहुत मगरूर हो चला हैं मेरी मज़बूरियों में ,
देखता हूँ तुम्हारा कल मैं अपने आज में
तमाम तडफ तमाम मुश्किलें बेमानी मालूम पड़ी ,
कल रात जो तुम मिले पुराने ख्वाब में
इस एक एहसास से सारे कयास बदल दिए
कल के खुदा बिक गये जफ़र पहली नमाज़ में.......