दर्द ही दर्द मेरे दामन में लिपटा पाया
मैं जहर हूँ जिसने पीया पछताया
ये एहसास ये ज़ज़्बात कबके जाया हुए
तुमने लाश के माथे पर सिन्दूर लगाया
कौन कहता हैं हौसले तकदीर के मोहताज़ नही
कारवां छोड़ कर सारा उसने मेरी कश्ती डुबाया
दिल के पते पर अब कोई नही रहता
आज फिर एक ख़त लौट आया
बड़े लोगो की मजबूरिया हुआ करती हैं
मुझे तन्हाई में अपनाया महफ़िलो में ठुकराया
निचोड़ कर तमाम ज़हर कोई विषपान करे
ज़िन्दगी की धुप में मिल जाय एक साया ......
मैं जहर हूँ जिसने पीया पछताया
ये एहसास ये ज़ज़्बात कबके जाया हुए
तुमने लाश के माथे पर सिन्दूर लगाया
कौन कहता हैं हौसले तकदीर के मोहताज़ नही
कारवां छोड़ कर सारा उसने मेरी कश्ती डुबाया
दिल के पते पर अब कोई नही रहता
आज फिर एक ख़त लौट आया
बड़े लोगो की मजबूरिया हुआ करती हैं
मुझे तन्हाई में अपनाया महफ़िलो में ठुकराया
निचोड़ कर तमाम ज़हर कोई विषपान करे
ज़िन्दगी की धुप में मिल जाय एक साया ......