युही किसी शाम मैं ढल जायूँगा,
तेरी दुनिया से बहुत दूर निकल जायूँगा.
जो भी जी चाहे फिर जीभर के करना
अपने पीछे मैं तेरा नशीब बदल जायूँगा
चंद रोज़ करेगे ये लोग रोना धोना,
धीरे धीरे मैं कब्र की मिटटी मे गल जायूँगा
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
अपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
किसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
आज की रात हैं क़यामत,फैसला करले,
मलाल तमाम उम्र का कल सुबह मल जायूँगा
तेरी दुनिया से बहुत दूर निकल जायूँगा.
जो भी जी चाहे फिर जीभर के करना
अपने पीछे मैं तेरा नशीब बदल जायूँगा
चंद रोज़ करेगे ये लोग रोना धोना,
धीरे धीरे मैं कब्र की मिटटी मे गल जायूँगा
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
अपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
किसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
आज की रात हैं क़यामत,फैसला करले,
मलाल तमाम उम्र का कल सुबह मल जायूँगा