दर्द में डूब के भी ख़िलाफ़त ना हुयी,
ना हुयीं हमें तुमसे शिकायत ना हुयीं..
ना हुयीं हमें तुमसे शिकायत ना हुयीं..
रब्त उसके ने हज़ार बंदिशो पे मज़बूर किया
इतनी शर्तों पे हमसे मोहब्बत ना हुयीं,
इतनी शर्तों पे हमसे मोहब्बत ना हुयीं,
हज़ार फ़ोन करो,लाख़ इल्तेज़ा, कऱोड नख़रे,
गोया कभी इतनी मेरी जान को आफ़त ना हुयीं,
गोया कभी इतनी मेरी जान को आफ़त ना हुयीं,
देश परदेश में,तेरी उम्मीद पर मैं टिका रहा,
एक मासूम दिल की तुझसे हिफ़ाज़द ना हुयी,
एक मासूम दिल की तुझसे हिफ़ाज़द ना हुयी,
नादान बेक़सूर टूट कर बर्बाद हुआ जाता हैं,
और क्या बाकी हैं ख़ुदा क्या अभी क़यामत ना हुयी,
और क्या बाकी हैं ख़ुदा क्या अभी क़यामत ना हुयी,
घोसलें उजाड़ के जब गौरैया भी उड़ गयीं,
लाख कोशिश से भी गांव के घर मे बसावत ना हुयीं,
लाख कोशिश से भी गांव के घर मे बसावत ना हुयीं,
ईमाँ अपना बेंच के दुकाँ अपनी चलाते हैं,
सच लिख़ने की इस दौर में क़लम को ताक़त ना हुयीं....!!!
सच लिख़ने की इस दौर में क़लम को ताक़त ना हुयीं....!!!