ज़माने की जिलालत से हिम्मत नहीं हारी,
अब तक तेरी तस्वीर आँखों से नही उतारी
वो लोग और थे जो दम तोड़ चुके हैं,
जीने की खिलाफत में जंग अब भी हैं जारी,
तुम हो की ऊपर की हसी देख रहे हो,
दुनिया में तो हर फूल पर जुल्म हैं भारी,
उस एक मुलाकात फल भोग रहा हूँ ,
तेरी यादें सीने में खिलती हुई फुलवारी ,
आप कभी खिदमद की ख़्वाहिश तो कीजिये,
कदमो में बिछा दूंगा में दौलत सारी ,
जैसे ही बेरहम गाड़ी ने स्टेशन छोड़ा,
काजल भीगा गयी एक आँख कुवारी,
जी मार के जीना मैं भी सीख हूँ,
घुट घुट के मरी हैं कई उम्मीद बेचारी,
तेरा ख्याल करके कलम चलायी हैं,
कुछ अदावते मैंने कभी नही उतारी,
अब तक तेरी तस्वीर आँखों से नही उतारी
वो लोग और थे जो दम तोड़ चुके हैं,
जीने की खिलाफत में जंग अब भी हैं जारी,
तुम हो की ऊपर की हसी देख रहे हो,
दुनिया में तो हर फूल पर जुल्म हैं भारी,
उस एक मुलाकात फल भोग रहा हूँ ,
तेरी यादें सीने में खिलती हुई फुलवारी ,
आप कभी खिदमद की ख़्वाहिश तो कीजिये,
कदमो में बिछा दूंगा में दौलत सारी ,
जैसे ही बेरहम गाड़ी ने स्टेशन छोड़ा,
काजल भीगा गयी एक आँख कुवारी,
जी मार के जीना मैं भी सीख हूँ,
घुट घुट के मरी हैं कई उम्मीद बेचारी,
तेरा ख्याल करके कलम चलायी हैं,
कुछ अदावते मैंने कभी नही उतारी,