किसी दिन अपने दिल की बात बता दू तो अच्छा हो
फासले सारे एक साथ मिटा दू तो अच्छा हो
कितने सऊर से तुम हमसे चालाकी दिखाते हो
चंद रोज और ये राज दबा दू तो अच्छा हो
ये मुसीबते जो मुझे बर्बाद भी कर सकती हैं
गर इस तपिस में खुदको फौलाद बना लू तो अच्छा हो
जो जज़्बात तकलीफ के शिवा कुछ नही दे सकते
पुराने खातों को अब आग लगा दू तो अच्छा हो