Friday 12 August 2022

मेरी गली में वो चाँद जलवानुमा सा है..,








तेरी यादो का कुछ धुँवा सा हैं,
मेरी गली में वो चाँद जलवानुमा सा है,

आँखे जैसे सूरज की पहली किरण,
तेरा चेहरा जैसा दुवा सा हैं,

नदिया गिरती रही मौजे जुड़ती रही,
बोझ वही अब भी दिल पे धरा सा है


दिन निकलता हैं ना कालिया खिलती है,
चंद रोज़ से वो शोख़ खफ़ा सा है....


Saturday 7 May 2022

अबकी बार तुम कितने बदले -बदले से लगते हो...












कुछ मायूस कुछ परेशान, कुछ संभले से लगते हो,
अबकी बार तुम कितने बदले -बदले से लगते हो...

दुनियां की जंजीरों में तुमने कब बंधना सीखा हैं,
रिश्तों के धागों में कुछ उलझें से लगतें हो,

कुछ घबराये कुछ शरमाये कुछ बोले तो कुछ हो जाये,
उलझीं -सुलझी जुल्फों में पगले से लगते हो,

चोरी की मुलाकातों में कितने डरते मरते हो,
हाले दिल बयानों में कुछ हकले से लगते हो...

लड़ झगड़ कर जब गले लगाने लगते हो,
दुनिया भर की तन्हाई मे बस अपने से लगते हो,

Tuesday 1 March 2022

तुम उस तरह से बेवफा नही होना...









जुदा होना मगर खफ़ा नही होना
तुम उस तरह से बेवफा नही होना,

ये सिखाया है अपनी अच्छाईयों नें,
दर्द बन जाना,किसी को दवा नही होना,

दीवानगी आवारा है सड़को पे सुबह शाम,
ख़र्च हो जाना रोज़ ,जमा नही होना,

दोनों समझ गये रिश्तो की मजबूरी,
दूर से हस देना,तकरार की वज़ह नही होना,

तुम्हारी आँखों में अभी तलक देखता है,
जिस ख़्वाब का लिखा था पूरा नही होना,

सर्दियों के बाद धूप कब तेज़ हो जायेगी, 
वक़्त का हुनर है किसी को पता नही होना,

Wednesday 26 January 2022









ख्वाहिश होनी चाहियें मुलाकात कोई दस्तूर नही,

बात भी ना करें ईतने भी तो हम दूर नही,


और लोग है जो जन्नत के छलावे में जिंदा है,
मेरी ख़ुदी को  आज भी ये मंज़ूर नही,

बेकशी के घर मे मुफ़लिसी का साया है,
परेशा जरूर हूँ मगर मजबूर नही,

कभी बात करो तो कुछ समझ आऊं,
थोड़ा मुश्किल हूँ  लेकिन मगरूर नही,

समझे नही तो मत पढ़ो मुझे  महफ़िल में,
मुनासिब होना चाहता हूँ मैं मशहूर नही,