Saturday 26 September 2020

एक किरण जो मेरी खिड़की से उतर आती हैं ....

 





मेरी खिड़की से उतरती हैं

मेरे फर्श पर छा जाती हैं

एक किरण रोज़

मेरे अँधेरे खा जाती हैं....


आसमान जब बाहे फैलता हैं

घना बादल जब आँखे दिखता हैं

देखती हैं ओटो के बीच से

कोई बच्चा देखे जो आँखे मीच के,

कभी अलसाये तो लाल हो,

चाँदनी गालो पे जब गुलाल हो,

ख़ामोश हो तो नीली हैं,

शामें नारंगी सी कभी पीली हैं

 वो फ़ूल पत्तो के आंसू पोछ दे,

नई रंगत उदास रातो को सुबह रोज़ दे

शामो को दुल्हन सा सुर्ख सजाती हैं

दिन में कपडों  से नमी  उड़ती हैं

 मज़दूरों संग पसीने भी बहती हैंं

सर्दियों में सौंधी धूप बन जाती है,

एक किरण जो मेरी खिड़की से उतर आती हैं ....

Thursday 17 September 2020

तू जो मुझे ज़ी लेती थोड़ा,तो मर जाती...








ऐसे ना थे नसीब की ज़िंदगी सवर जाती,
यू न उजड़ती तो किसी और तरह उजड़ जाती..

ख़ून के से खूट पी ता रहा उम्र भर,
तू जो मुझे ज़ी लेती थोड़ा,तो मर जाती,

बादल,पँछी,फूल,फ़िज़ाये और मुस्कान तेरी,
बहार मेरे गाँव ना आती तो किधर जाती,

भूख़ से बिलखते रहे बच्चे रात भर,
दो दाने मिल जाते तो मज़बूरी घर जाती,

गरीब की कलम में जिंदा हैं लब्जो की सच्चाई,
दौलत का घुन लगता तो नज़्म सारी सड़ जाती .....

©dr. zafar

Sunday 13 September 2020

दुश्मन अभी रात के भुलावे में हैं...








दुश्मन अभी रात के भुलावे में है,
ये सूरज अभी बादलों के साये में हैं,

ग्रहण की रोशनी तुम्हे अन्धा बना देगी,
ज़िन्दगी का जोड़ अभी घटाये में हैं,

ये तहज़ीब हैं जिसे कमज़ोरी समझते हो,
मेरा ज़मीर मेरे सब्र के संभाले में हैं,

मंत्री जी और साहब जोड़ तोड़ करते रहे,
कितनी देर और सुबह के उजाले में हैं,




Sunday 6 September 2020

बस एक तीर जिगर के पार सा हैं कोई...







बस के ये एक दर्द दिलपे दुशवार सा हैं कोई
मेरे ही हालात ए हाल से बेज़ार  सा हैं कोई



अपना सा लगता हैं कोई  जब चोट खाता है
पोसीदा सी वजहों में मेरा किरदार सा हैं कोई,

रोज रोज की तकरारो में रब्त रिस जायेंगे,
सर्द रातों में खाँसता हुआ बीमार सा है कोई

सारे दर्द सारे शिकवों से मैं जुदा हुआँ
बस एक तीर जिगर के पार सा हैं कोई

तेरा status तेरी dp देखता रहता हूँ,
नये शहर में पुराना तलबगार सा है कोई,


Thursday 20 August 2020

बादलन कि ओट में चंदनिया चिटकायी है.....






घिर गए बद्रा और फुहार रिमझिमायी हैं,
यार परदेश ने हवाओं संग चिट्ठी भेजवायीं हैं,


बटोही ख़ुद मय सफ़र दम तोड़ दिये
सौ बरस की दूरी तूने क्यो खिंचवाई हैं

टोहत जिया,अखियां छलक दरिया भई
बैरन असुयो रंग काजल उतार लायी हैं

देर भई सँध्या शर्म को लाल हुई,
साझ ढले जालिम ने कुंडी दी लगाई है

पाथर अंग फूल खिलेंगे सावन ये फुलवारी में,
बादलन कि ओट में चंदनिया चिटकायी है,

परेशान बिदिया रात भर फ़ोन देखत रही
तोहरी एक मुलाकात ने बेचैनी इतनी बड़ायी हैं...

Saturday 30 May 2020

तुम्हारे सितम से डर जाऊ तो बता देना,







तुम्हारे  सितम से डर जाऊ तो बता देना, 
जिंदा रहो तुम और मैं ही मर जाऊ तो बता देना

चुप हूँ मगर कभी फट भी सकता हूँ
तुम्हारे पाप का घड़ा हूँ भर जाऊ तो बता देना

लब हिले इबादत को और तेरा नाम आये,
इश्क़ में इस कदर निखर जाऊ तो बता देना,

मैं ईमानदारी और भाईचारे का बुखार हूँ
चंद शरीफ़ लोगो में और सर जाऊ तो बता देना,

इन प्रधानों से सांसदों तक जो बंदरबाट मची हैं,
सांसद निधि,राज्य वित्त का प्रसाद हूँ बट जाऊं तो बता देना,

मेरी क़लम पे मेरे उसूलो मेरी परवरिश की जर्द हैं,
आसानी से तुम्हारे रास्तों से हट जाऊ तो बता देना,

मैं तारीख़ में जिंदा रहूँगा सूली चढ़ाओ या ज़हर पिलाओ,
तुम मिटाओ जो मैं मिट जाऊ तो बता देना

Monday 13 April 2020

मेरे दिल में एक ख़ुशनुमा एहसास हो...







तुम दूर हो या पास हो
मेरे दिल में एक ख़ुशनुमा एहसास हो...
सवाल हो ख़्याल हो,
मेरी खामोशी हो मेरा राज हो,
मैं तुम्हारा गीत हूँ तुम मेरी आवाज हो,
हर सुबह का रंग हो,
मेरी सब शाम की उमंग हो
हर वक़्त तुम मेरे संग हो
मेरे दुःख में,मेरे दर्द में,
ज़िन्दगी की हर गर्त मैं 
हौसला हो विश्वास हो
तुम दूर हो या पास हो
मेरे दिल में एक ख़ुशनुमा एहसास हो...

दिल जब कभी उदास हो,
कोई दूसरा ना मेरे पास हो,
दुनिया मेरे जब ख़िलाफ़ हो,
तुम तब भी मेरे साथ हो,
कमज़ोरी को ताक़त बनाते हो,
आँसुओ में मुस्कुराते हो,
मुझमे ही दुनिया बसाते हो,
मेरे सिर्फ मेरे हो जाते हो
तुम्हारे नाम से ही हर शुरुवात हो,
इतने तुम हमारे लिए ख़ास हो
तुम दूर हो या पास हो
मेरे दिल में एक ख़ुशनुमा एहसास हो...



Sunday 29 March 2020

दिन जब दिहाड़ी हो,लॉकडाउन आनंद विहार हैं....







माना उदास शाम हैं मगर घबराओ नही,
फिर सूरज निकलेगा,अंधेरो को गले लगाओ नही,

ये बुजदिलो और अंधो की भीड़ हैं जो हावी हैं,
तुम्हें ही बोलेंगे,इनको आईना दिखाओ नही,

दिन जब दिहाड़ी हो,लॉकडाउन आनंद विहार हैं
टीवी में बैठकर हालात का अंदाज़ा लगाओ नही,

शहर की समझदारी,मासूमियत छीन लेगी,
गाँव में बैठकर,फिक्ररे दिल्ली में सर खपाओ नही,

बहुत मुश्किल से मैने ख़ुदको संभाल रखा हैं,
दौरे तन्हाई में नादानी से मेरे पास आओ नही,

मैं जनता हूँ जो तुम्हारे दिल में,मेरी सांसो में हैं,
मुझे अब और दुनियादारी का सबक सिखाओ नही,

उसने बादलों की ओट में एक सूरज छुपा के रखा हैं,
इत्मीनान रखो इतनी जल्दी घबराओ नही,

Tuesday 24 March 2020

मन मंदिर में स्थापित,साधना का शिवाला हो.....







एहसास की पूजा जज्बात की माला हो,
मन मंदिर में स्थापित,साधना का शिवाला हो,..


प्रेम लगन में पागल मैं बेसुध गोपी सी,
तुम निष्ठर चंचल नटखट नंदलाला हो,

सर्द गहरी रातो का तन्हा मुसाफ़िर सा,
अलाव तपते हाथो का तुम सहारा हो,

राह मेरी काली,जीवन घनघोर अंधेरा हैं,
सीने मैं छुपा रखा एक अतीत का तारा हो,

ये जो बातों में नरमी हैं लहज़े मे नज़ाकत हैं,
आँखों से सब जाहिर,मुँह में कितना ताला हो,

डोर रिश्ते की मुझसे ही बस जिंदा हैं,
रोक नही पाऊँ और तुम कब पलटने वाला हो,

मेरे हर दिन में रोशन,रात को टिमटिमाते हो,
साथ सदा चलते,साँसो की ऐसी  ज्वाला हो,

Friday 17 January 2020

हमने तुमसे कोई शिकायत कहां की हैं ....







दर्द ने किस कदर इंतेहा की हैं,
हमने तुमसे कोई शिकायत कहां की हैं,

जिस तरह हमने हज़ार मिन्नते की
तुमने वैसे अभी इल्तेज़ा कहा की हैं
बैठ कर वही घण्टो खुदको ढूंढा हैं
तेरे बाद भी इश्क़ की हर रेशम अदा की हैं
जब भी एक कतरा नमी तेरी आंखों में देखी
हमने अपने दिल की हर आरज़ू दबा दी हैं
सारा इल्ज़ाम सारा कसूर अब तेरे सर हैं
मैंने तो अपने दिलकी तुझे बता दी हैं,
लाख रात भर रोकर भी समझ ना पाया हूँ,
प्यार करके हमने कौनसी खता की हैं,
बस एक ग़ज़ल दिल में छुपा के रखी हैं
जबके हमने तेरी हर बात भुला दी हैं