जो ख्वाब थे वही हक़ीक़त थी,
साथ तुम जहाँ तक थी,वही तक थी...
तमाम उम्र अब यूँही घुटके मरना हैं,
किसीसे कह नही सकते क्या शिकायत थी,
ज़हर दोनों ने चुपचाप पी लिया,
दिलो के मिलने से,खानदान की फ़ज़ीहत थी,
दुनिया से अब तन्हा मुझे लड़ना हैं,
शादी करना घरवालों की हसरत थी,
ज़्यादा शहद हो तो चिटिया लग जाती है
रिश्ता हमारा दूसरे आशिक़ो को नशीहत थी,
साहब जो कहते वही कानून होता,
वक़्त पर चुनाव करा लिया ग़नीमत थी,