Monday, 26 May 2014

ये रात एक मज़बूरी सी हो गयी है

ये रात एक मज़बूरी सी हो गयी है
जिसको हम दोनों लाधे है
अरसे से अपने सिरहानो से बांधे हें...
ना मेरे दर्द की तुमको कोई चुभन है
तुम्हारे खालीपन का मुझको भी कोई एहसास नही
नीद में कभी हाथ छू भी ले जरा
अपनी हदों में दुरिया लौट आती है
ये गल रही सड रही बदल रही
जो कभी थी मुकम्मल हमारे होने से
मुझमे तुममे अधूरी हो गयी हैं
ये रात मज़बूरी हो गयी है।

Saturday, 24 May 2014

तू मेरी जीत है इसमें मेरी हार सही..








मेरे हालात मुझपे दुशव़ार सही
तू मेरी जीत है चाहे इसमें मेरी हार सही..

अब यही मेरी जिंदगी का सच हैं मुक़द्दर है,

चाहे मेरे सर पे लटकती हुई तलवार सही..

हमतो उनको दुनिया बना के बैठे है,

वो चाहे हमे छोड़ने को तैयार सही...

बनके सिकंदर जज़बातो को फ़तेह किया,

तेरा सकुन तेरा चाँद उसके कदमो का मोहताज सही

मुझको आराम मिले तो यु ही सही
चंद साँसे तुझसे उधार सही..

एक रोज़ दोनो ने एक ठंडक साथ निगली थी,

आज हमारे मिलने में कितनी आग सही,

दो रूहें तो कबकी जफ़र एक हुई,
अपने बीच दुनिया की लाख दीवार सही....

Wednesday, 21 May 2014

ये घुटन जो दिल में बैठी है

ये घुटन जो दिल में बैठी है
क्या बताऊ तुमको कैसी है.
दुनियादारी सब खारी सी लगती है
आती जाती साँसे भारी सी लगती है
बात तेरी हो फफक पड़ता हू
वो यादे सारी एक कटारी सी लगती है
कभी भूल से हँस भी लू जरा
दिन भर आंखे भारी सी लगती है
यु राहों मे जिसके हम सदिया बैठे
हर लम्हा वो सजोये संभाले सैधे
ख्याल उन्हें तक कभी न आता
हम आज भी सोचते वो कैसी है
ये घुटन जो दिल में बैठी है
क्या बताऊ तुमको कैसी है........!!!

Tuesday, 20 May 2014

जाने क्यों दिल फिरभी रुआसा है

जो हुआ था पहले वही हुआ सा है
जाने क्यों दिल फिरभी रुआसा है

हमको उनसे मिलना आफरी सा है

उनको हमसे ताल्लुख बददुआ सा है
कमनशिबी मेरी जिंदगी सही
लेकिन उसका चेहरा तो दुआ सा है
बातो मे चिनगारिया सी है
वस्ल में भी बेरुखी का धुआ सा है
बड़े बनके जमीदार से फिरते है
वो जिनका चेहरा अफ्सरा सा है
किसको फुर्सत मिले हमसे बात करे
जबकी काम हमको उनसे बस जरा सा है......!

कोई कैसे खुदको याद रखे

तुम्हारी याद मे कोई कैसे खुदको याद रखे
यही मर्ज़ी तो क्यों इस दिल को आबाद रखे

प्यास मे डूब भी जाये दरिया तो अच्छा है
दरिया में डूब के कोई कैसे प्यास रखे
बाहों में भरके कोई जो पूछे ख्वाहिशे हमसे
इसके बाद और भी कोई क्या फरियाद रखे
जबके जीना इस हाल में जफ़र सीख गया है
इस घर में अब खुशिया फरिश्तो मेरे बाद रखे

Monday, 19 May 2014

दर्द कभी यु भी हुआ की राहत बन गया,

दर्द कभी यु भी हुआ की राहत बन गया,
सैय्याद ही बुलबुल की चाहत बन गया.

हमने सर भी कटवाए तो कुछ खास नही,
बस दो आंसू तुम्हारे सहादत बन गया.
पहली ही बार के तजुर्बे से एहसास हुआ,
आज के दौर में ताल्लुख तिजारत बन गया
उससे बिछड़ने का असर यु भी हुआ
उसीका ख्याल ही हर आहट बन गया.
वल्लाह जमाल दे जफ़र वफादारी मे,
पहले जो शौक था वो इबादत बन गया.......

Sunday, 18 May 2014

चाँदनी रातो मे आप छत पे आया करो  ,

चाँदनी रातो मे आप छत पे आया करो  ,
क़भी साँझ ढले चाँद से भी बतियाया करो ,

जरूरी नही हर बात मे कुछ मतलब हो,
दुपहरी में खेलो ,बारिशो मे नहाया करों 

ये एहसासात दुनिया के समझ के परे ही तो है 
ये जज़्बात दिल मे ही  चुपचाप दबाया करो

अबके इलेक्शन, सियासत गर्मियों पे भारी  है ,
छत पे सो जाओ,लाइट के इंतज़ार में वक़्त मत जाया करो। 

जब निगाह चाँद सूरज पे हो तो यु न दिल छोटा करते,
चन्द हारो में भी जश्न मनाया करो …। 

Wednesday, 14 May 2014

दिये है जख्म जिसने उमर भर के लिए,

दिये है जख्म जिसने उमर भर के लिए,
दुआए करते है उसी सितमगर के लिए.

जिसको तुम हमारी कमज़ोरिया समझते हो
गाव के लोग याद करते है हमे उसी हुनर के लिए
हमारी राते सदियों से करवटो मे लिपटी है
तरसते है एक नीद एक बिस्तर के लिए
मेरे वजूद पे ही लाचारिया लिखी उसने
किसे मुलजिम करू अपने मुकद्दर के लिए
तुम्हारी नफरतो का बोझ दबा देता है
जब भी कदम उठता हू सुलह सहल के लिए
जानता हूँ मुसीबत बन गया है जफ़र
कुछ बोलने की ज़रूरत नही इस ज़हर के लिए


दिन मै जो बहुत सारे सपने सजाते हैं ,
रात मै वो बेचारे सो भी नही पाते हैं .........