उसने सारे शिकवो का जवाब भेजा हैं
ख़त में दबाकर गुलाब भेजा हैं
मेरे बगैर कैसे बीते हैं सुबह शाम
सूखे पत्तो में सारा हिसाब भेजा हैं
एक एक जब्ज में क़यामत बयान होती हैं
चंद पन्नो में मोहब्बत का किताब भेजा हैं
बहुत भटका हु अंधेरो मैं तमाम उम्र
लिफाफे मैं दबाकर आज आफ़्ताभ भेजा हैं
जख्म जिगर के हरे रखना, दिल मे यादो के उजाले भरे रखना तुम दोस्ती भी निभाओ जी भरके मेरी जान यारो से भी कुछ फासले रखना सच्चाई पे सितम तो ज़माने का दस्तूर है हर जुल्म से बढकर तुम होसले रखना जलने भी लगी है दुनिया अपने निबाह से झुपाकर तुम अपने सारे फैसले रखना.......!!!