युही किसी शाम मैं ढल जायूँगा,
तेरी दुनिया से बहुत दूर निकल जायूँगा.
जो भी जी चाहे फिर जीभर के करना
अपने पीछे मैं तेरा नशीब बदल जायूँगा
चंद रोज़ करेगे ये लोग रोना धोना,
धीरे धीरे मैं कब्र की मिटटी मे गल जायूँगा
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
अपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
किसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
आज की रात हैं क़यामत,फैसला करले,
मलाल तमाम उम्र का कल सुबह मल जायूँगा
तेरी दुनिया से बहुत दूर निकल जायूँगा.
जो भी जी चाहे फिर जीभर के करना
अपने पीछे मैं तेरा नशीब बदल जायूँगा
चंद रोज़ करेगे ये लोग रोना धोना,
धीरे धीरे मैं कब्र की मिटटी मे गल जायूँगा
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
अपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
किसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
आज की रात हैं क़यामत,फैसला करले,
मलाल तमाम उम्र का कल सुबह मल जायूँगा
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
ReplyDeleteअपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा
मंगलकामनाएं आपको !
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteशुभकामनाएँ।
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
ReplyDeleteअपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा ..
बहुत लाजवाब शेर है ... पूरी ग़ज़ल कमाल के शेरों से सजी है ... बहुत उम्दा ..
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
ReplyDeleteकिसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
waah!!! :)
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
ReplyDeleteकिसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
waah!!! :)
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
ReplyDeleteकिसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
waah!!! :)
यकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
ReplyDeleteकिसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
waah!!! :)
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteशुभकामनाएँ।
Mere blog par new post par aapka intzaar hai..
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
ReplyDeleteयकींन का फरिश्ता,उम्मीद का सूरज हूँ
ReplyDeleteकिसी आँख मे रात भर पल जायूँगा
वाह जफर साहब, बहत खूब।
दर्द से भरी गज़ल। शानदार भाव।
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार...
तेरी हमदर्दी की खैरात मुझे मंज़ूर नही
ReplyDeleteअपने हालात से मैं खुद ही संभल जायूँगा ..
.... लाजवाब शेर है उम्दा