ज़माने की जिलालत से हिम्मत नहीं हारी,
अब तक तेरी तस्वीर आँखों से नही उतारी
वो लोग और थे जो दम तोड़ चुके हैं,
जीने की खिलाफत में जंग अब भी हैं जारी,
तुम हो की ऊपर की हसी देख रहे हो,
दुनिया में तो हर फूल पर जुल्म हैं भारी,
उस एक मुलाकात फल भोग रहा हूँ ,
तेरी यादें सीने में खिलती हुई फुलवारी ,
आप कभी खिदमद की ख़्वाहिश तो कीजिये,
कदमो में बिछा दूंगा में दौलत सारी ,
जैसे ही बेरहम गाड़ी ने स्टेशन छोड़ा,
काजल भीगा गयी एक आँख कुवारी,
जी मार के जीना मैं भी सीख हूँ,
घुट घुट के मरी हैं कई उम्मीद बेचारी,
तेरा ख्याल करके कलम चलायी हैं,
कुछ अदावते मैंने कभी नही उतारी,
अब तक तेरी तस्वीर आँखों से नही उतारी
वो लोग और थे जो दम तोड़ चुके हैं,
जीने की खिलाफत में जंग अब भी हैं जारी,
तुम हो की ऊपर की हसी देख रहे हो,
दुनिया में तो हर फूल पर जुल्म हैं भारी,
उस एक मुलाकात फल भोग रहा हूँ ,
तेरी यादें सीने में खिलती हुई फुलवारी ,
आप कभी खिदमद की ख़्वाहिश तो कीजिये,
कदमो में बिछा दूंगा में दौलत सारी ,
जैसे ही बेरहम गाड़ी ने स्टेशन छोड़ा,
काजल भीगा गयी एक आँख कुवारी,
जी मार के जीना मैं भी सीख हूँ,
घुट घुट के मरी हैं कई उम्मीद बेचारी,
तेरा ख्याल करके कलम चलायी हैं,
कुछ अदावते मैंने कभी नही उतारी,
आप कभी खिदमद की ख़्वाहिश तो कीजिये,
ReplyDeleteकदमो में बिछा दूंगा में दौलत सारी ,
आशिक के दिल से निकली बात है ये शेर ... बहुत लाजवाब कलाम है ...
ग़ज़ल अच्छी है. तश्वीर से आपका अभिप्राय 'तस्वीर' रहा होगा ऐसा प्रतीत होता है.
ReplyDeleteधन्यवाद् रंजन जी..
Deleteबहुत ही शानदार गज़ल।
ReplyDeleteजैसे ही बेरहम गाड़ी ने स्टेशन छोड़ा,
ReplyDeleteकाजल भीगा गयी एक आँख कुवारी,
वाह बहुत खूब
तुम हो की ऊपर की हसी देख रहे हो,
ReplyDeleteदुनिया में तो हर फूल पर जुल्म हैं भारी,
वाह बहुत खूबसूरत।
वो लोग और थे जो दम तोड़ चुके हैं,
ReplyDeleteजीने की खिलाफत में जंग अब भी हैं जारी,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.
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बहुत सुन्दर ,
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
My sincere thanks you all for kind appreciation..
ReplyDeleteतुम हो की ऊपर की हसी देख रहे हो,
ReplyDeleteदुनिया में तो हर फूल पर जुल्म हैं भारी,
.... बहुत खूबसूरत।
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