दर बदर भटकता रहा जिसकी तलाश में
पाया है वही सुकून तुम्हारे पास मे
तेरी तिशनगी को मोहब्बत समझता रहा
कच्चा हु आज भी दुनिया के हिसाब मे
बहुत मगरूर हो चला हैं मेरी मज़बूरियों में ,
देखता हूँ तुम्हारा कल मैं अपने आज में
तमाम तडफ तमाम मुश्किलें बेमानी मालूम पड़ी ,
कल रात जो तुम मिले पुराने ख्वाब में
इस एक एहसास से सारे कयास बदल दिए
कल के खुदा बिक गये जफ़र पहली नमाज़ में.......
पाया है वही सुकून तुम्हारे पास मे
तेरी तिशनगी को मोहब्बत समझता रहा
कच्चा हु आज भी दुनिया के हिसाब मे
बहुत मगरूर हो चला हैं मेरी मज़बूरियों में ,
देखता हूँ तुम्हारा कल मैं अपने आज में
तमाम तडफ तमाम मुश्किलें बेमानी मालूम पड़ी ,
कल रात जो तुम मिले पुराने ख्वाब में
इस एक एहसास से सारे कयास बदल दिए
कल के खुदा बिक गये जफ़र पहली नमाज़ में.......
तेरी तिशनगी को मोहब्बत समझता रहा
ReplyDeleteकच्चा हु आज भी दुनिया के हिसाब मे
इस एक एहसास से सारे कयास बदल दिए
कल के खुदा बिक गये जफ़र पहली नमाज़ में.......
..बहुत बहुत खूब!
thank you maam
ReplyDeleteand welcome to blog...
तेरी तिशनगी को मोहब्बत समझता रहा
ReplyDeleteकच्चा हु आज भी दुनिया के हिसाब मे ..
वाह इस सादगी पे सदके ... इंसान कच्चा ही रहे तो कितना अच्छा हो ...
इस एक एहसास से सारे कयास बदल दिए
ReplyDeleteकल के खुदा बिक गये जफ़र पहली नमाज़ में....
.........बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
आप सभी का आभार....
ReplyDeleteवाह क्या बात है..., दिल को छू लेने वाली पंक्तियां।
ReplyDeleteThanks कहसशा जी
Deleteवाह क्या बात है.
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