सारी शिकायते सारे शिक़वे ख़त्म हो गये,
कितने राज कल रात दफ़न हो गये,
कितने राज कल रात दफ़न हो गये,
बड़े बेक़रार लोग भटकते रहे थे कई रोज़,
सारे मसाइल मसले लिपट कर कफ़न हो गये,
सारे मसाइल मसले लिपट कर कफ़न हो गये,
हज़ार बार की मिन्नतों से जो भी अब नही पिघलते,
हम तुम बिछड़कर कितने सख्त हो गये,
हम तुम बिछड़कर कितने सख्त हो गये,
दुःख तकलीफ़ मज़बूरी किसीकी नही दिखती,
भीड़ के जुनून में लोग इतने मगन हो गये,
भीड़ के जुनून में लोग इतने मगन हो गये,
झूठी खुशी और नकाबपोशों की ये महफ़िल हैं
अमीरे शहर के फ़ीके हर जश्न हो गये,
अमीरे शहर के फ़ीके हर जश्न हो गये,
हाथ में फूल लेके अब कोई नही आता,
इस शहर में बस नफरतो के स्वपन हो गये,
इस शहर में बस नफरतो के स्वपन हो गये,
जबके दिल तो बेरंग उदास हुए जाता हैं
जुदा हुए तो कितनी जल्दी रंगीन ये बदन हो गये,
जुदा हुए तो कितनी जल्दी रंगीन ये बदन हो गये,
पहली नवरात सुबह छत पे बाल सुखाते दिख गयी,
हमे भी अपने खुदा के दर्शन हो गये,
हमे भी अपने खुदा के दर्शन हो गये,
कितनी सिद्दत से जिस इश्क़ को हमने जवान किया,
तुम यू बदले की वो किस्से अब बचपन हो गये,
तुम यू बदले की वो किस्से अब बचपन हो गये,
लोग बाज़ारो दरगाहों पे इशारो से जफ़र दिखाते हैं,
ऐसे बर्बाद हुये की शहर भर को उदाहरण हो गये...!!!
ऐसे बर्बाद हुये की शहर भर को उदाहरण हो गये...!!!
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