Saturday 27 April 2024

कल रात फिर मिले कुछ साये…

 





कल रात फिर मिले कुछ साये,

वही दोस्त बैठें बतियायें,

जाम से जाम टकरायें..

देर तक हुड़दंग से जागीं आँखें

सुबह चाय की चुस्कियों में लड़खड़ायें

कल रात फिर मिले कुछ साये..


दिल्ली की इस दौड़ धूप में

रौनक़ों की इस ऊब में

किसको है अब वक़्त

गल -सड़ रहे है सब रब्त

वो मिले तो कुछ पुराने एहसास लौट आये

जैसे ख़ुद को भी हम याद आये,

बातें वही गिनी गिनाई

छोटी बातों पर बड़ी कही-सुनायीं

अस्त-व्यस्त कमरा बिखरे सारे जज़्बात,

कुछ रोमानी गाने सुनें

कुछ पुराने नाम बुदबुदाये..

कल रात फिर मिले कुछ साये..


6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 28 अप्रैल 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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