Saturday, 7 February 2015

तुम मुझे भूल जाओ,मुझे तुमको भुलाने दो.

काँच के खिलोनो को अब टूट जाने दो,
तुम मुझे भूल जाओ,मुझे तुमको भुलाने दो.


खूब देखी हमने चाँद सितारों की दुनिया ,
मुझे जमीन पर कुछ मोती उगाने दो.

क्या जरुरी हैं मुझे बाँहो में भरो
टूटता तारा हूँ मुझे टिमटिमाने दो

यु ही ज़िन्दगी बोझिल हो चुकी मेरी
कपकपाती लौ को बुझ जाने दो

बहारो के उतरने पर अफशोस नही करते
गुलशन के रखवालो को अपनी चलाने दो

देख तो लिया उम्र भर मर मर के
आज मुझे सारी दीवारे गिराने दो

ये अल्फ़ाज़ कही आग न लगा दे दुनिया में
इन नज्मो को गुमनामी में खो जाने दो...


3 comments:

  1. खूब देखी हमने चाँद सितारों की दुनिया ,
    मुझे जमीन पर कुछ मोती उगाने दो...
    बहुत खूब ... सपनों की दुनिया से निकलकर हकीकत की दुनिया को देखना उसमें जीना अच्छा है ... अच्छी ग़ज़ल है जफ़र भाई ...

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  2. बहुत खूब, बहुत ही अच्‍छी गज़ल है। पढ़कर गुनगुनाने का दिल किया।

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  3. ये अल्फ़ाज़ कही आग न लगा दे दुनिया में
    इन नज्मो को गुमनामी में खो जाने दो.


    हर शेर उम्दा.....बहुत बढ़िया लगी ग़ज़ल :;))

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