पलकों में दबा कर आँसुओ का सैलाब रखा हैं
दुनिया से छुपा कर अबतक तेरा ख्वाब रखा हैं
दुनिया से छुपा कर अबतक तेरा ख्वाब रखा हैं
आहिस्ता आहिस्ता ही समझ में आऊँगा
अपनी शख्शियत पे बड़ा मेहराब रखा हैं,
हमने तो मोहब्बत बेइन्तहा की थी,
उन्होंने नफरतो का ही हिसाब रखा हैं,
घर से निकल कर जाऊ तो किस तरफ
अपनी दुनिया को ख़ुद ही उजाड़ रखा है,
हमने उनके जुल्म भी भुला दिए
उन्होंने हमारी नादानी को भी याद रखा हैं
उन्होंने हमारी नादानी को भी याद रखा हैं
लौट के शहर से ग़ाव जाने से डरता हूँ
भाइयो ने आँगन को इतना बाट रखा हैं
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