दोस्त बन बन के लोग दुश्मनी निकालते रहे
एक ही ठोकर को हम उम्र भर सँभालते रहे
गोया बार बार हम भी कोशिशे करते रहे
वो भी माशाल्लाह बारहा गलतिया निकलते रहे
कोई जोहरी की सी नज़र से हमे देखेगा
कई सदिया हम ये हसीन ख्वाब पालते रहे
लोग अंधेरो में तारीख लिख के चल दिए
हम धीमी आंच पे अपने चावल उबालते रहे
फसले हमारे गाँव की सब शहर चली गयी
लोग खाली पेट ज़मीन की कमिया निकालते रहे
एक ही ठोकर को हम उम्र भर सँभालते रहे
गोया बार बार हम भी कोशिशे करते रहे
वो भी माशाल्लाह बारहा गलतिया निकलते रहे
कोई जोहरी की सी नज़र से हमे देखेगा
कई सदिया हम ये हसीन ख्वाब पालते रहे
लोग अंधेरो में तारीख लिख के चल दिए
हम धीमी आंच पे अपने चावल उबालते रहे
फसले हमारे गाँव की सब शहर चली गयी
लोग खाली पेट ज़मीन की कमिया निकालते रहे
बढ़िया है :)
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धन्यवाद sir बहुत बहुत
ReplyDeleteठीक कर दिया हैं अब,पता नही था
nice
ReplyDeleteगोया बार बार हम भी कोशिशे करते रहे
ReplyDeleteवो भी माशाल्लाह बारहा गलतिया निकलते रहे ..
ये सिलसिला जो यूँ ही चलता रहे तो जिंदगी सफल है ... लाजवाब बात ...
Gajab sirji
ReplyDeleteKoi johri ki nazar se hume bhi dekehga
लोग अंधेरो में तारीख लिख के चल दिए
ReplyDeleteहम धीमी आंच पे अपने चावल उबालते रहे
फसले हमारे गाँव की सब शहर चली गयी
लोग खाली पेट ज़मीन की कमिया निकालते रहे
..बहुत खूब!