Sunday, 27 July 2014

ख्वाब हमारे कच्चे हैं नीद हमारी आधी हैं..........

ख्वाब हमारे कच्चे हैं नीद हमारी आधी हैं
में भी तुम भी जाना हालातो के अपराधी हैं
किस घडी में हमने तकदीरे लिखवाई थी
इस नुक्कड़ पे मौत हैं उस गली में बर्बादी हैं
ये दुनिया  तो एक मृत तर्षाना हैं प्यारे,
दुःख  बस अपने,खुशिया सारी मियादी हैं
एक हैं आंसू अपने एक से अफ़साने हैं
मैं भी तुम भी सारे एक डगर के साथी हैं
तू अधूरी मैं अधुरा एकदूजे बिन हैं
साथ हमारा जैसे दिया और बाती हैं
कितने बिछुड़े कितने तूफा हमने देखे हैं
आंख हमारी पत्थर जिगर बड़े फौलादी हैं



2 comments:

  1. हालात के अपराधी ... क्या खूब कहा है ...

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  2. Aankh humari pathar hai, zigar bada fauladi hai


    Awesome

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