Sunday 31 March 2024

बारिश क्यो है…







तेज़ धूप में फिर आज ये बारिश क्यो हैं...
नम पलकों के दरवाजे पर,
किसी ख़्वाब की गुजारिश क्यो है..
कई रोज़ बाद दिखा ये घना कोहरा,
रात के ही आग़ोश में खो गया सवेरा,
बिजलिया आँख दिखाती हैं,
मेरी सुबहे अलसायी जाती है,
बादल आने-जाने लगे है,
माल रोड' की चहल कदमी याद दिलाने लगे है,
जबके पिछली कई सर्दियां यूँही बेरंग गुज़री
कोई  उम्मीद कोई बदली नही उमड़ी,
वो हुजूम दोस्तो का फ़ानी हुआ
कॉलेज के बाद सफर कितना बेमानी हुआ,
ये यू ही होना है तो फिर
मौसम की आज ये साजिस क्यो हैं
आज बारिश क्यो हैं......





Sunday 17 March 2024

नयें कल की बात करें…





नये कल की बात करें

चलो एक नयीं शुरुवात करें,




कोई पूर्वाग्रह ना हो 

ना कोई पूर्वाभास हो

एक नयी सुबह का

बस दोनों के मन में उत्साह हो,

सारे पुराने के चेहरे उतारे

एक शाम अजनबी बन के गुज़ारे

कुछ नये नग़मे उगाता हूँ

सपनो के शहर होके आता हूँ

तुम बस तुम बन के रहो

“मैं”फिर मैं बन जाता हूँ

किसी टपरी पर 

एक ही चाय मंगाते है

बाइक पर लौंग ड्राइव पर जाते है

बरगद की ओट पर

फिर नज़र बचा के  छूप जाते है,

उन शुरुवाती दिनों की

क्यों ना फिर से शुरुवात करें

नयें कल की बात करें…


Wednesday 6 March 2024

आँख नम हैं दिल में ख़ुमारी हैं….






आँख नम हैं दिल में ख़ुमारी हैं,
आज फिर तुम्हारी जिद पे उम्मीद हारी हैं,

बड़ी शिददत से दिल में संभाल रखा था,
अपनी नज़दीकियों की जो थोड़ी उधारी हैं,

जुदा हुये थे तो उसे एहसास ही ना था,
ठहरे पानी में गहराई कितनी सारी है,

चंद दिनों में ये दुनिया भूल ही जायेगी,
बस तेरे-मेरे सिर पर ये बोझ कितना भारी हैं,