Sunday 22 February 2015

जहर हूँ जिसने पीया पछताया ......

दर्द ही दर्द मेरे दामन में लिपटा पाया
मैं जहर हूँ जिसने पीया पछताया

ये एहसास ये ज़ज़्बात कबके जाया हुए
तुमने लाश के माथे पर सिन्दूर लगाया

कौन कहता हैं हौसले तकदीर के मोहताज़ नही
कारवां छोड़ कर सारा उसने मेरी कश्ती डुबाया

दिल के पते पर अब कोई नही रहता
आज फिर एक ख़त लौट आया

बड़े लोगो की मजबूरिया हुआ करती हैं
मुझे तन्हाई में अपनाया महफ़िलो में ठुकराया

निचोड़ कर तमाम ज़हर कोई विषपान करे
ज़िन्दगी की धुप में मिल जाय एक साया ......

Thursday 19 February 2015

हर सुबह मैं अपने साथ नही रहता ...


कैसे गुजरी रात,याद नही रहता ,
हर सुबह मैं अपने साथ नही रहता ...

कुछ ख्याल आकर ख्वाबो को सजाते हैं ,
सोये हुये मैं कभी बर्बाद नही रहता ...

तेरे शहर में ये कौन सा मौसम हुआ करता हैं ,
तुम्हारे खतो में कभी जज्बात नही रहता ....

अपने ही आजकल जख्म दिया करते हैं ,
सब मुश्किलों में,दुश्मनों का हाथ नही रहता ...

दम तोड़ देगा इश्क मौलवियों पडितो के झगडे में ,
मज़हबो का मसला उसके दरबार नही रहता ...

कहते कहते कुछ  जफ़र रुक सा जाता हैं
जब दिल गिरफ्तार हो तो जुबा आजाद नही रहता  .....

Friday 13 February 2015

एक उम्र हम इसी कफ़स में थे ....

एक उम्र हम इसी कफ़स में थे,
जबसे हम तेरी हिफ़ज़ में थे.

सारा शहर रुख़सार का था कायल,
तुम  कब मेरे वश में थे  .

खुशिया तमाम गुलाम थी 
कुछ फ़रिश्ते मेरी गिरफ्त में थे  . 

चाँद मेरे हदो में था 
परवाने कभी अपनी जब्त में थे 

दौरे तन्हाई दर्दे इश्क़ दिखावा हैं 
कितने मज़े तुमसे शिख्शत में थे 

उतनी ताकत तुम्हारे जुल्म में कहा थी 
जितने हौसले जिदे बेबस में थे 

कुछ कहना उस वक़्त फ़िज़ूल था 
जाते हुए तुम दौलत की हवस में थे 

Saturday 7 February 2015

तुम मुझे भूल जाओ,मुझे तुमको भुलाने दो.

काँच के खिलोनो को अब टूट जाने दो,
तुम मुझे भूल जाओ,मुझे तुमको भुलाने दो.


खूब देखी हमने चाँद सितारों की दुनिया ,
मुझे जमीन पर कुछ मोती उगाने दो.

क्या जरुरी हैं मुझे बाँहो में भरो
टूटता तारा हूँ मुझे टिमटिमाने दो

यु ही ज़िन्दगी बोझिल हो चुकी मेरी
कपकपाती लौ को बुझ जाने दो

बहारो के उतरने पर अफशोस नही करते
गुलशन के रखवालो को अपनी चलाने दो

देख तो लिया उम्र भर मर मर के
आज मुझे सारी दीवारे गिराने दो

ये अल्फ़ाज़ कही आग न लगा दे दुनिया में
इन नज्मो को गुमनामी में खो जाने दो...


Wednesday 4 February 2015

परदेश में यू ना किसी की बसर हो....

परदेश में यू ना किसी की बसर हो
ना पेट को रोटी ना रहने को घर हो

 जिस तरह भटकता हूँ आजकल
जिंदगी किसीकी ना दरबदर हो
सुना हैं मुस्करा कर भी मिलता हैं
हम पर भी कभी इनायतें नज़र हो
जिंदा रहने का बस यही उसूल हैं
जुबान जहर दिल फकद पत्थर हो
दीवारे कब घर हुआ करती हैं
रहने वाले भी कुछ मय्यसर हो
उसके रुखसार पर राधा की सी झलक
जाने कब ये दिल मुरलीधर हो

Sunday 1 February 2015

बदनसीब आँखों ने दुनिया बेइंतेहा देखी..

हसी पनाह देखी दर्द भरी आह देखी
बदनसीब आँखों ने दुनिया बेइंतेहा देखी..

रातभर अपने अपने हिस्से के बिस्तर में सिमटते रहे
देखने वालो ने हमारी दुरिया कहा देखी.

फकद मुर्दो की भीड़ में कैद हैं ज़िन्दगी
आज के इंसा ने आदमियत कहा देखी.

तेरे मेरे दरमियान फासले लाज़मी थे
तूने अपनी ज़रूरते देखी हमने तेरी जुबा देखी

बड़े सलीके से उसने दुनियादारी पहन ली
वही सूरत हमने तो हर जगह देखी

हुस्न लैला ने मजनू को किया बदनाम
इश्क़ मीरा जिसने जहर मैं भी दवा देखी