Saturday, 29 November 2025

चलो छोड़ो ये तो तुम्हारी पुरानी आदत है..





हमी से की मोहब्बत हमी से शिकायत है 

चलो छोड़ो ये तो तुम्हारी पुरानी आदत है


तुम वादा तो करो हम इंतज़ार ही कर लेंगे

कई दिनों से मेरे अंदर कुछ शुगबुगाहट है


क्या करेंगे बैठ के बात वही सब है

हमे तो तुम्हे बस देखने की चाहत है


तेरा कसूर ना मेरी गलती है ये यूँ ही होना था 

शाखों से गिरकर तो गुल को बस मुरझाहट है


अब तुम्हारे बारे मैं सोचता हूँ तो ये लगता है 

उस दौर के रिश्तों मैं आज भी कितनी ताक़त है

Monday, 8 September 2025

ना थे जो सुलझानें वो मसले कब सुलझा सके..










तुम हमें समझ ना सके ना हम तुमको समझा सके,
ना थे जो सुलझानें वो मसले कब सुलझा सके,

यही था गर होना नसीब में, तो हो के रहा,
गले लगाने उठे थे हाथ भी न मिला सके,

थक कर हार गये सारे जुगनू अंधेरों से,
सूरज का वादा करके चिंगारी भी ना दिखा सके

देर रात तक सोचता रहा मैं ख्यालो में,
मिटा दिया चिरागों को जब उजालो से ना लड़ सके ,

बंदिश लगा के होठो पर जब कुछ न हुआ
कुचल दिया गाड़ी से,जिनकी आवाज़ ना दबा सके..