Monday, 8 September 2025

ना थे जो सुलझानें वो मसले कब सुलझा सके..










तुम हमें समझ ना सके ना हम तुमको समझा सके,
ना थे जो सुलझानें वो मसले कब सुलझा सके,

यही था गर होना नसीब में, तो हो के रहा,
गले लगाने उठे थे हाथ भी न मिला सके,

थक कर हार गये सारे जुगनू अंधेरों से,
सूरज का वादा करके चिंगारी भी ना दिखा सके

देर रात तक सोचता रहा मैं ख्यालो में,
मिटा दिया चिरागों को जब उजालो से ना लड़ सके ,

बंदिश लगा के होठो पर जब कुछ न हुआ
कुचल दिया गाड़ी से,जिनकी आवाज़ ना दबा सके..

Monday, 16 June 2025

अब मैं क्या करूँगा..??







मांग कोई सुनी सजा के
पुष्प मरुस्थल में खिला के
फिर कोई संकल्प उठा के
अब मैं क्या करूँगा

चक्रव्यूह जब तोड़ न पाया
लोह भुजा का निचोड़ न पाया 
युद्ध अब जीत जीता के,
सूरज को दिया दिख के,
नचिकेता के हल बता के
अब मैं क्या करूँगा

आँख में जब कंकड़ फसा हैं,
राख़ में शोला दबा हैं,
तमस से दीपक डरा हैं
असत्य जब सौ धर्म से बड़ा हैं
परशुराम का गांडीव उठाके
इंद्रा का सिंहासन हिला के
भागीरथी से धरा धुला के
अब मैं क्या करूँगा....