Tuesday, 25 March 2025

कोई तो उस तरह से अब मेरे करीब नही,

कोई शिकवा कोई शिक़ायत कोई उम्मीद नही,
बस मुलाक़ात से बढ़कर हमे कोई चीज़ नही,

थोड़ी तन्हाई थोड़ी बेख़याली थोड़ी यादें रहती है,
कोई तो उस तरह से अब मेरे करीब नही,

और भी लोग और भी मसाइल शामिल थे
तबाही के लिये सिर्फ तुम्हे कोसना अब ठीक नही,

बहुत दिनों बाद गलें लगाया तो पता चला 
बहुत कुछ था बीच जब कोई हमारे बीच नहीं ….





Tuesday, 18 March 2025

बुड़ो की सी ख़ासी,बच्चों का सा रोना है










 बूढ़ों की सी खाँसी, बच्चों का सा रोना है

दर्द हमारा मानो सर्दियों का बिछौना है….

तक़रीरों मैं मुँह बनाकर कैसे हम रह लेते है
एक बिस्तर पर कैसे तेरा मेरा दो कोना है

सिर पटक, चीख चिल्लाकर कुछ भी तो नहीं होना है,
मर्ज़ी रख दी धार में हमने बस बहते रहना है

एक पहर आँख लगी तो देखे हमने ख़्वाब कई 
किसकी बातें झूठी हैं किसकी आँखें सोना है..