हमी से की मोहब्बत हमी से शिकायत है
चलो छोड़ो ये तो तुम्हारी पुरानी आदत है
तुम वादा तो करो हम इंतज़ार ही कर लेंगे
कई दिनों से मेरे अंदर कुछ शुगबुगाहट है
क्या करेंगे बैठ के बात वही सब है
हमे तो तुम्हे बस देखने की चाहत है
तेरा कसूर ना मेरी गलती है ये यूँ ही होना था
शाखों से गिरकर तो गुल को बस मुरझाहट है
अब तुम्हारे बारे मैं सोचता हूँ तो ये लगता है
उस दौर के रिश्तों मैं आज भी कितनी ताक़त है

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