Saturday 20 October 2018

वजह की ज़िद में ज़िन्दगी का मज़ा नही ले पायेगा......!!!




ज़ुनून जब तेरा हद से गुज़र जाएगा,
वजह मे फसेगा तो सारा खेल बिगड़ जायेगा,


इस कसमकश की वजह भी तभी जान पायेगा,
दुनिया की तमाम वजहों से जब फ़रिक हो जायेगा,

बारिशो में भीग कर देख,तेज़ धूम में घूमकर आ,
वजह की ज़िद में ज़िन्दगी का मज़ा नही ले पायेगा,

ये हालात तेरे ही फैसलों के हासिल हैं,
बेवजह,वजह की बहस के पीछे कबतक चेहरा छुपायेगा,

इतनी प्यास हैं कि अब बुझाने से डरता हूँ,
नकाब उठ गया तो तस्व्वुर कमज़ोर पड़ जायेगा,

ताब को इस क़दर दीवानों ने खुदा कर दिया,
एक बार गले लगा ले चालीस पचास बरस तो कट जायेगा,

बैठ कर कई रात मैं इस फ़लसफ़े को गूँधता रहा,
सुन अब वो किस्सा तुझे भी यक़ीन नही आयेगा,

गुप अंधेरा होगा,रास्ता भी रास्ते से हट जयेगा,
सब्र रखना तुझे सच तब ही नज़र आएगा,

जिदों की कोख़ में दूरियों के समुन्दर हैं,
सोच समझ कर अकड़ना वरना बहुत पछतायेगा,

चाँद जब  बाहों से उतरकर,दुनियादारी में खो जयेगा
जमी का बोझ सारा तेरे क़दमो में आ जायेगा,

पत्थर पिघल कर रास्ता दिखायेगा,आसमा खुल जायेगा,
कोई मीरा को जब जब जहर का घूट पिलायेगा....!!!

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