Wednesday 17 April 2024

वो ज़ालिम एक दिन बेनकाब होगा..






चित्रगुप्त के बही से सबका हिसाब होगा,
वो ज़ालिम एक दिन बेनकाब होगा,

आप  हवाई दौरा बाढ़ का करके क्या करोगे
नेताजी आपका वक़्त बेकार खराब होगा,

हमे रोजी और रोजगार में ही उलझा रखो,
पेट भर गया तो मुँह में इंक़लाब होगा,

उसीके साथ दफन हैं जुल्म की सारी सच्चाई ,
पंचनामे में तो वही घिसा- पिटा जवाब होगा,

दिन भर इधर उधर जो मज़लूम को टहलाते रहे,
रामदीन की जेब में बाबूओं के ज़ुल्म का महराब होगा,

4 comments:

  1. समसामयिक बहुत अच्छी गज़ल सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ अप्रैल २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. वाह...''हमें रोजी और रोजगार में ही उलझा रखो,
    पेट भर गया तो मुँह में इंक़लाब होगा'' ...शानदार बात

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