Tuesday, 28 January 2025

कुछ पूछोगे तो कुछ नहीं बोलूँगा..

 









कुछ पूछोगे तो कुछ नहीं बोलूँगा

राज़ी नहीं भी हूँऊँगा तो भी हाँ ही बोलूँगा

ये मैंने सोच लिया है

तुम्हारी महफ़िल में ये उनमान लिया है

थक  गया हूँ मैं इन तक़रीरों से

वक़्त की इस फ़िज़ूल खर्ची से,

फ़िक्र वास्ता कुछ नहीं तुम्हें अब 

बस तुमने पूछकर रस्म निभायी है,

बमुश्किल जब बात जुबा पे आई है

कब तुमने कोशिश की है समझने की

कब मैंने तुम्हें सच बताया है

साथ मैं हमने बस यू ही वक़्त गवाया है

जो मसायल कल भी थे 

आज भी वही है

क्यों की इनके हल नहीं है

तुम अपने रास्ते चलो

में अपनी राहे बनाता हूँ

थोड़ी देर हस खेल के

फिर अपने शहर चले जाता हूँ

जो था कल मैं आज भी वही रहूँगा

कुछ पूछोगे तो कुछ नहीं बोलूँगा..




1 comment:

  1. हर सवाल का जवाब नहीं होता, जवाब मिलता है उसी दिन जब कोई सवाल नहीं होता

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