आसमानों की बुलंदिया देखी,बेबसी के अंधेरे देखे,
रात क फरिश्तो ने सुबह के काले सवेर देखे...
फितरते बदलती हैं जरूरते ढलती हैं
दो पल के फासलों में सदियों के फेरे देखे
इन बेकस हालातो में दुनियादारी जायज़ हैं
तूने मेरी मुश्किलें देखी मैंने रंग तेरे देखे
रात क फरिश्तो ने सुबह के काले सवेर देखे...
फितरते बदलती हैं जरूरते ढलती हैं
दो पल के फासलों में सदियों के फेरे देखे
इन बेकस हालातो में दुनियादारी जायज़ हैं
तूने मेरी मुश्किलें देखी मैंने रंग तेरे देखे
Hi, after reading this awesome paragraph i am too cheerful to share my
ReplyDeleteknowledge here with mates.
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बहुत उम्दा शेर हैं ...
ReplyDeletethanks sir...
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