Friday 22 September 2017

किसी दिन अपने दिल की बात बता दू तो अच्छा हो

किसी दिन अपने दिल की बात बता दू तो अच्छा हो
फासले सारे एक साथ मिटा दू तो अच्छा हो

कितने सऊर से तुम हमसे चालाकी दिखाते हो
चंद रोज और ये राज दबा दू तो अच्छा हो
ये मुसीबते जो मुझे बर्बाद भी कर सकती हैं
गर इस तपिस में खुदको फौलाद बना लू तो अच्छा हो
जो जज़्बात तकलीफ के शिवा कुछ नही दे सकते
पुराने खातों को अब आग लगा दू तो अच्छा हो

4 comments:

  1. बहुत खूब ... कहाँ हैं आज कल ...

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  2. धन्यवाद sir,थोड़ा मशरूफ था,आपकी हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

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