Thursday, 22 March 2018

धीरे- धीरे तू सबकुछ भूल जाएगी.....

नये फूल खिलेंगे,नई बहारे आयेगी,
धीरे- धीरे तू सबकुछ भूल जाएगी..

डोली सजेगी तू दुल्हन बनेगी,
हाथो मे मेहदी माथे पर बिंदिया चमकेगी
तेरे घर रोशनी की बारात भी आएगी,
धीरे- धीरे तू सबकुछ भूल जाएगी.....

पलके फिरसे सपने सजायेगी
जागी-जागी राते  बाते बनाएगी
रूठना मनाना,
Date पे बाहर जाना
फोन की घंटियां फिर उम्मीदे जगाएगी,
धीरे- धीरे तू सबकुछ भूल जाएगी.....

2 comments:

  1. ये तो इंसान की फ़ितरत है ... बहार आने पे सब भूल जाता है ... उर वैसे भी जब दुल्हन बने कोई तो उसे सब पुराना भूलना ही बेहतर है ...
    सुंदर गीत है ...

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