किसी के आगे अब खुलने को हम तैयार नहीं,
दोस्त बहुत हैं यहाँ कोई यार नहीं,
मुश्किलों का समुन्दर हैं,तकलीफों के पहाड़ हैं,
इस ताल्लुख़ से उबरने के कोई आसार नहीं,
हाथ मेरे ख़ाली सही,आँखों में क़यामत हैं,
ख़ामोशी भी इबादत हैं,नज़दीकी ही प्यार नहीं,
बहुत सिखाया ज़िन्दगी के तजुर्बों ने
दुश्मन बना लो मगर कोई राजदार नहीं,
दुश्मन बना लो मगर कोई राजदार नहीं,
मैं ही प्यासा हूँ और मुझी में समुन्दर हैं,
ज़िन्दगी तुझ_सा कोई अय्यार नहीं,
ज़िन्दगी तुझ_सा कोई अय्यार नहीं,
किसी डाल पे फूल खिले कोई आँगन खाली हैं
मुझे तेरी फ़ैसलों पर अब ऐतबार नहीं,
तुमने क़िताबों को मुलज़िम बनाया,लोंगो को भड़काया
मेरे हाथ में क़लम थी कोई तलवार नहीं,
मेरे हाथ में क़लम थी कोई तलवार नहीं,
Great written.keep post more and more.
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