Sunday, 29 March 2020

दिन जब दिहाड़ी हो,लॉकडाउन आनंद विहार हैं....







माना उदास शाम हैं मगर घबराओ नही,
फिर सूरज निकलेगा,अंधेरो को गले लगाओ नही,

ये बुजदिलो और अंधो की भीड़ हैं जो हावी हैं,
तुम्हें ही बोलेंगे,इनको आईना दिखाओ नही,

दिन जब दिहाड़ी हो,लॉकडाउन आनंद विहार हैं
टीवी में बैठकर हालात का अंदाज़ा लगाओ नही,

शहर की समझदारी,मासूमियत छीन लेगी,
गाँव में बैठकर,फिक्ररे दिल्ली में सर खपाओ नही,

बहुत मुश्किल से मैने ख़ुदको संभाल रखा हैं,
दौरे तन्हाई में नादानी से मेरे पास आओ नही,

मैं जनता हूँ जो तुम्हारे दिल में,मेरी सांसो में हैं,
मुझे अब और दुनियादारी का सबक सिखाओ नही,

उसने बादलों की ओट में एक सूरज छुपा के रखा हैं,
इत्मीनान रखो इतनी जल्दी घबराओ नही,

12 comments:

  1. सार्थक ग़ज़ल।
    कोरोना से बचिए।
    अपने और अपनों के लिए घर में ही रहिए।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 31 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. माना उदास शाम हैं मगर घबराओ नही,
    फिर सूरज निकलेगा,अंधेरो को गले लगाओ नही,
    बहुत खूब... ,उम्मींद का सूरज नहीं डूबना चाहिए ,सादर नमन

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31 -3-2020 ) को " सर्वे भवन्तु सुखिनः " ( चर्चाअंक - 3657) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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  6. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय सर
    बहुत मुश्किल से मैने ख़ुदको संभाल रखा हैं,
    दौरे तन्हाई में नादानी से मेरे पास आओ नही,

    मैं जनता हूँ जो तुम्हारे दिल में,मेरी सांसो में हैं,
    मुझे अब और दुनियादारी का सबक सिखाओ नही,..वाह !बेहतरीन

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  7. इत्मिनान रख ..
    आज का समय यही है मानव को अकेले रहना होगा ... बंद रहना होगा ..।
    लाजवाब शेरों के माध्यम से बहुत कुछ क्या है ..

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