Sunday, 18 April 2021

तेरे घर से उड़ती हुई हवा आयीं है,









दर्द के शहर में दवा आयीं हैं,
तेरे घर से उड़ती हुई हवा आयीं है,

कैसी उम्मीद अब तो तस्व्वुर ज़िंदगानी है,
उम्र सारी जवानी,बचपन में ही लुटा आयी है

ये सजावट ये भीड़ सब बेरंग है,
जब तक महफ़िल में तू नही आई है,

जाते जाते हाथ छुड़ा कर कह गयी,
बाहर को लेने आज फिज़ा आयी है,

मैं तो कहता था इतने दूर मत जाओ,
मुँह छुपाना ही अब मर्ज की दवाई है,

Sunday, 11 April 2021

आज की शाम....







बादलों की ओट से मुझे चाँद दीदार करने दो,
आज की शाम जी भरके प्यार करने दो....

तुम ख़ामोश बैठें सिर्फ सुनते रहो,
इस एक पल में मुझे बातें हज़ार करने दो,

कोई ना रोके अब आवारा क़ाफ़िर क़दमो को,
जो ना हुआ कभी अबकी बार करने दो,

मालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
फिर भी तुम बस मुझे  इंतज़ार करने दो,

ग़र मुसलसल यही हासिल हैं कोशिशों को,
रुको जरा अपनी ग़लतियो पर विचार करने दो....