Sunday, 11 April 2021

आज की शाम....







बादलों की ओट से मुझे चाँद दीदार करने दो,
आज की शाम जी भरके प्यार करने दो....

तुम ख़ामोश बैठें सिर्फ सुनते रहो,
इस एक पल में मुझे बातें हज़ार करने दो,

कोई ना रोके अब आवारा क़ाफ़िर क़दमो को,
जो ना हुआ कभी अबकी बार करने दो,

मालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
फिर भी तुम बस मुझे  इंतज़ार करने दो,

ग़र मुसलसल यही हासिल हैं कोशिशों को,
रुको जरा अपनी ग़लतियो पर विचार करने दो....

13 comments:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बादलों की ओट से मुझे चाँद दीदार करने दो,
    आज की शाम जी भरके प्यार करने दो...
    बेहतरीन गजल लिखी है आपने आदरणीय सुनील जी। बधाई हो आपको।

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  3. वाह! बहुत उम्दा!!

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  4. मालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
    फिर भी तुम बस मुझे इंतज़ार करने दो,


    वाह , क्या बात है ...बहुत खूबसूरत ग़ज़ल .

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  5. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१७-०४-२०२१) को 'ज़िंदगी के मायने और है'(चर्चा अंक- ३९४०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।

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  6. तुम ख़ामोश बैठें सिर्फ सुनते रहो,
    इस एक पल में मुझे बातें हज़ार करने दो....
    बेहतरीन ग़ज़ल।
    एक शेर यहाँ याद आता है -
    हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि
    हर ख्वाहिश पे दम निकले
    बहुत निकले मेरे अरमान,
    लेकिन फिर भी कम निकले !

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    1. वाह।ग़ालिब साहब की तो बात ही कुछ और है।
      मेरी नज़्म को नवाज़ने के लिए धन्यवाद।

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  7. शानदार गजल

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  8. बहुत खूब गजल-

    मालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
    फिर भी तुम बस मुझे इंतज़ार करने दो, 👌👌

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  9. बेहतरीन ग़ज़ल

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  10. उम्दा! हर शेर मुकम्मल।

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