आज की शाम जी भरके प्यार करने दो....
तुम ख़ामोश बैठें सिर्फ सुनते रहो,
इस एक पल में मुझे बातें हज़ार करने दो,
कोई ना रोके अब आवारा क़ाफ़िर क़दमो को,
जो ना हुआ कभी अबकी बार करने दो,
मालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
फिर भी तुम बस मुझे इंतज़ार करने दो,
ग़र मुसलसल यही हासिल हैं कोशिशों को,
रुको जरा अपनी ग़लतियो पर विचार करने दो....
बढ़िया ग़ज़ल।
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 अप्रैल 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बादलों की ओट से मुझे चाँद दीदार करने दो,
ReplyDeleteआज की शाम जी भरके प्यार करने दो...
बेहतरीन गजल लिखी है आपने आदरणीय सुनील जी। बधाई हो आपको।
वाह! बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteमालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
ReplyDeleteफिर भी तुम बस मुझे इंतज़ार करने दो,
वाह , क्या बात है ...बहुत खूबसूरत ग़ज़ल .
खूबसूरत ग़ज़ल....
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१७-०४-२०२१) को 'ज़िंदगी के मायने और है'(चर्चा अंक- ३९४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
तुम ख़ामोश बैठें सिर्फ सुनते रहो,
ReplyDeleteइस एक पल में मुझे बातें हज़ार करने दो....
बेहतरीन ग़ज़ल।
एक शेर यहाँ याद आता है -
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि
हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान,
लेकिन फिर भी कम निकले !
वाह।ग़ालिब साहब की तो बात ही कुछ और है।
Deleteमेरी नज़्म को नवाज़ने के लिए धन्यवाद।
शानदार गजल
ReplyDeleteबहुत खूब गजल-
ReplyDeleteमालूम है वो न कभी लौट के आयेगा,
फिर भी तुम बस मुझे इंतज़ार करने दो, 👌👌
बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteउम्दा! हर शेर मुकम्मल।
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