Saturday, 12 May 2018

मेरे सीने में तेरी भी धड़कने पूरी हैं,

मेरे सीने में तेरी भी धड़कने पूरी हैं,
बेशुमार इश्क़ हैं जब तो ये दूरिया दस्तूरी हैं,
जो खुशबो तेरे सांसो में पलती हैं
मेरे भी आहो में महकती वही कस्तूरी हैं
जबसे तुमसे मिलकर जुदा हुआ हूं
बेजान सा हूं मैं तू भी तो अधूरी हैं
जबके हमारे दरमियां बस प्यार ही प्यार हैं
तो क्या हर बात पे लड़ना जरूरी हैं
सात फेरों की सात कसम खायी हैं
मैं तेरा ही माझी हूँ, तू मेरी जीवन की धुरी हैं..

2 comments:

  1. जबके हमारे दरमियां बस प्यार ही प्यार हैं
    तो क्या हर बात पे लड़ना जरूरी हैं ...
    प्रेम में लड़ाई होगी तहजी तो प्रेम का एहसास होगा ... ये तो जरूरी है और अधिक प्रेम के लिए ...
    बहुत लाजवाब शेर हैं ग़ज़ल के .... एक से बढ़ कर एक ... आपको ईद मुबारक हो ...

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