Sunday, 28 July 2019

नेताजी को सिगड़ी का पुख्ता इंतेज़ाम जारी रहा....





देर रात तक नुमाईश में प्रोग्राम जारी रहा,
जनता मफ़लर,पंखी में सिमटती रही,
नेताजी को सिगड़ी का पुख्ता इंतेज़ाम जारी रहा,

लोग स्टार नाईट को तरसते रहे देर तक,
उनका चुनावी पैगाम जारी रहा,

मौत का कुँआ हो या नटनी का बैलेंस,
भूख़ के वास्ते ज़िन्दगी का डांस जारी रहा,

कौनसी गली में किस मुँडेर विकास दुकाँ है,
अपनी नाकामियां गैरो पे इलज़ाम जारी रहा,

वोट के चक्कर में नेता,अफसर पोस्टिंग में फंसा है,
भीड़ को उलझाने का काम जारी रहा,

सिपाही की पेंसन पे पल रहा आधा पहाड़,
कमुली खिमुली परुली या और नाम जारी रहा...

Monday, 22 July 2019

मर ही ना जायें तो अब, क्या ख़त में लिखा करे....





हम मोहब्बत करे वो दिल्लगी किया करे ,
किसी के साथ ऐसा भी ना खुदा करे .....


हर बार के जवाब में दिल तोड़ रहे हो ,
मर ही ना जायें तो अब, क्या ख़त में लिखा करे....

पास आकर जाना हम कितने दूर हो गये ,
गोया इश्क में जरा-जरा फासले रखा  करे ...

आज की रात सितारे मेरे कदमो में हैं,
तुम साथ हो तो,औरो का क्या करे....,

वक़्त के साथ,रिश्तों की नरमी जाती रही,
इश्क़ में ख़्वाहिश,कल पर ना छोड़ा करे......

Saturday, 20 July 2019

तेरे मेरे प्यार की निशानी की तरह







सुबह तक महकती रही,मुझमेँ रात की रानी की तरह,
मुझपे गुज़रना था जिसे जवानी की तरह..


बहुत खुश थे जिससे पीछा छुड़ा के अमीर,
याद रहा वो शख्श दादी की कहानी की तरह,

एक शमा अकेले तूफ़ान से लड़ती रही,
बुतो में खोजते रहे लिखा था जो पेशानी की तरह,

मेरी बरबादियाँ कुछ काम तो जरूर आयीं,
बच्चों को सुनाते हैं गाँव वाले कहानी की तरह,

जिक्र भी करु तो छलक पड़ता हैं,
पलको पर जो तैरता रहता हैं पानी की तरह,

आज की रात को उम्र भर साथ हमारे चलना हैं
तेरे मेरे प्यार की  आख़िरी निशानी की तरह

Sunday, 14 July 2019

आँसू






चूड़ी काज़ल कंगन और ऑंसू,
बारिश कोहरा बादल और आँसू

पीपल पतझड़ जेठ दुपहरी,
झूले साथी सावन और आँसू,

मेरी पीड़ा मेरा दुखड़ा बोझ भयंकर,
मिश्री बातें तेरी जियरा सदल और आँसू

लकड़ी गठ्ठर,रोटी लून सक्कर
गैय्या ग्वाले,बन्सी जंगल और आँसू

फावड़ा कुटला ,खेत का टुकड़ा,
मुठठी फ़सलें,भतेर दंगल और आँसू,

गांव पनघट हल्ला बचपन
परदेश तन्हा कमरा बंजर और आँसू

दरिया पर्वत भूख़ बेकारी लाचारी
आक्षित आखर ऐपण चंदन और आंसू

Wednesday, 10 July 2019

मैं आज भी ऐसे तेरा वचन निभाता हूँ....








चिता की अग्नि में हर शाम मौन लेट जाता हूँ
मैं आज भी ऐसे तेरा वचन निभाता हूँ,

थक जाते हैं सब पुतले दिनभर की भेड़चल से,
मैं इस तडफ़ की अलख जगाता हूँ,

कोई सूरज अपने ताक़त में जब मग़रूर दिखा,
बहुत सादगी मैं उसको दिया दिखता हूँ

जमाने भर की जिलालत से तो लड़ भी लेता हूँ,
घर आकर तुम्हारे मसलों से हार जाता हूँ,

दुसरो की गलतियों में बहुत चीख़ता चिल्लाता हूँ,
अपनी गुस्ताखियों बड़े सऊर से पर्दे लगाता हूँ,

शौक से तुम जॉगिंग पर टहलने जाते हो,
एक ध्याड़ी मज़दूरी पर दिनभर पसीना बहाता हूँ,

तुम पत्थरो की बस्तियां बसाते हो,
मैं गाँव की काली मिट्टी से सोना उगाता हूँ