Monday, 22 July 2019

मर ही ना जायें तो अब, क्या ख़त में लिखा करे....





हम मोहब्बत करे वो दिल्लगी किया करे ,
किसी के साथ ऐसा भी ना खुदा करे .....


हर बार के जवाब में दिल तोड़ रहे हो ,
मर ही ना जायें तो अब, क्या ख़त में लिखा करे....

पास आकर जाना हम कितने दूर हो गये ,
गोया इश्क में जरा-जरा फासले रखा  करे ...

आज की रात सितारे मेरे कदमो में हैं,
तुम साथ हो तो,औरो का क्या करे....,

वक़्त के साथ,रिश्तों की नरमी जाती रही,
इश्क़ में ख़्वाहिश,कल पर ना छोड़ा करे......

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (24-07-2019) को "नदारत है बारिश" (चर्चा अंक- 3406) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. वाह बहुत सुंदर

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  3. वाह !बेहतरीन
    सादर

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