तुम्हारे सितम से डर जाऊ तो बता देना,
जिंदा रहो तुम और मैं ही मर जाऊ तो बता देना
चुप हूँ मगर कभी फट भी सकता हूँ
तुम्हारे पाप का घड़ा हूँ भर जाऊ तो बता देना
लब हिले इबादत को और तेरा नाम आये,
इश्क़ में इस कदर निखर जाऊ तो बता देना,
मैं ईमानदारी और भाईचारे का बुखार हूँ
चंद शरीफ़ लोगो में और सर जाऊ तो बता देना,
इन प्रधानों से सांसदों तक जो बंदरबाट मची हैं,
सांसद निधि,राज्य वित्त का प्रसाद हूँ बट जाऊं तो बता देना,
मेरी क़लम पे मेरे उसूलो मेरी परवरिश की जर्द हैं,
आसानी से तुम्हारे रास्तों से हट जाऊ तो बता देना,
मैं तारीख़ में जिंदा रहूँगा सूली चढ़ाओ या ज़हर पिलाओ,
तुम मिटाओ जो मैं मिट जाऊ तो बता देना
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 31 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteतम्बाकू निषेध दिवस की शुभकामनाएँ।
बहुत खूब
ReplyDeleteचुप हूँ मगर कभी फट भी सकता हूँ
ReplyDeleteतुम्हारे पाप का घड़ा हूँ भर जाऊ तो बता देना.. वाह ! लाजवाब.
सादर
मैं ईमानदारी और भाईचारे का बुखार हूँ
ReplyDeleteचंद शरीफ़ लोगो में और सर जाऊ तो बता देना ...
बहुत लाजवाब शेर ... बहुत दिनों के बाद एक लाजवाब गज़ल ...
तुम्हारे पाप का घड़ा हूँ भर जाऊ तो बता देना
ReplyDeleteइश्क़ में इस कदर निखर जाऊ तो बता देना,
आहा। .सच कहूं तो इन दो पंक्तियों में ही नज़र अटक के रह गयी। अपने आप में मुक्कमल हैं ये दो पंक्तियाँ
बहुत प्यारे भाव। .अच्छी रचना
Gajab likha hai apne bhoht khub
ReplyDeleteNice article such an amazing post.
ReplyDeleteShayari
Bf Gf Shayari